🌟 20+ नई हिंदी पहेलियाँ उत्तर सहित | मजेदार, कठिन और दिमाग घुमाने वाली पहेलियाँ
यदि आप हिंदी पहेलियाँ, मजेदार पहेलियाँ, बच्चों की पहेलियाँ, या
उत्तर सहित मुश्किल पहेलियाँ ढूंढ रहे हैं, तो यह लेख आपकी खोज को समाप्त कर देगा। यहाँ दी गई
पहेलियाँ दिमाग़ को तेज़, याददाश्त को मजबूत तथा मनोरंजन के लिए एकदम परफेक्ट हैं।
✍️ Author: Lipika Rajwani
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📅 Date: 12 January 2025
✨ आसान और मजेदार हिंदी पहेलियाँ (Easy & Funny Riddles)
1. बोल नहीं पाती हूँ मैं…
बोल नहीं पाती हूँ मैं,
और सुन नहीं पाती।
बिना आँखों के हूँ अंधी,
पर सबको राह दिखाती।
2. तीन अक्षर का मेरा नाम…
तीन अक्षर का मेरा नाम,
बीच कटे तो रिश्ते का नाम।
आखिरी कटे तो सब खाएं,
भारत के तीन तरफ दिखाए।
3. शुरू कटे तो कान कहलाऊँ…
शुरू कटे तो कान कहलाऊँ,
बीच कटे तो मन बहलाऊँ।
बारिश आँधी धूप से रक्षा,
परिवार की मैं करूँ सुरक्षा।
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4. सोने की वह चीज है…
सोने की वह चीज है,
पर बेचे नहीं सुनार।
मोल तो ज्यादा है नहीं,
बहुत है उसका भार।
5. नकल उतारे सुनकर वाणी…
नकल उतारे सुनकर वाणी,
चुप-चुप सुने सभी की कहानी।
नील गगन है इसको भाए,
चलना क्या उड़ना भी आए।
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6. राजा महाराजाओं के ये…
राजा महाराजाओं के ये,
कभी बहुत आया काम।
संदेश इसने पहुँचाए,
सुबह हो या शाम।
7. आगे भी ‘प’ मध्य में भी ‘प’…
आगे 'प' है मध्य में 'प',
अंत में इसके 'ह' है।
पेड़ों पर रहता है,
सुर में कुछ कहता है।
8. अनोखी वर्षा…
देखी रात अनोखी वर्षा,
सारा खेत नहाया।
पानी तो पूरा शुद्ध था,
पर पी न कोई पाया।
9. करती नहीं यात्रा दो गज़…
करती नहीं यात्रा दो गज़,
फिर भी दिन भर चलती है।
रसवंती है नाजुक भी,
लेकिन गुफा में रहती है।
10. नहीं सुदर्शन चक्र मगर…
नहीं सुदर्शन चक्र मगर,
मैं चकरी जैसा चलता।
सिर के ऊपर उल्टा लटका,
फर्श पर नहीं उतरता।
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11. पास में उड़ता-उड़ता आए…
पास में उड़ता-उड़ता आए,
क्षण भर देखूँ, फिर छिप जाए।
बिना आग के जलता जाए,
सबके मन को वह लुभाए।
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12. छिलके को दूर हटाते जाओ…
छिलके को दूर हटाते जाओ,
बड़े स्वाद से खाते जाओ।
इतना पर अवश्य देखना,
छिलके इसके दूर ही फेंकना।
13. आँखें दो हो जाए चार…
आँखें दो हो जाए चार,
मेरे बिना कोट बेकार।
घुसा आँखों में मेरा धागा,
दर्जी के घर से मैं भागा।
14. मध्य कटे तो सास बन जाऊँ…
मध्य कटे तो सास बन जाऊँ,
अंत कटे तो सार समझाऊँ।
मैं हूँ पक्षी, रंग सफेद,
बताओ मेरे नाम का भेद।
15. सर्दी की रात मैं नभ से उतरूँ…
सर्दी की रात मैं नभ से उतरूँ,
लोग कहते हैं मुझे मोती।
सूर्य का प्रकाश देखते ही,
मैं गायब होती।
16. एक हाथ है लकड़ी की डंडी…
एक हाथ है लकड़ी की डंडी,
बने हुए हैं इसमें आठ घर।
ज्यों-ज्यों हवा जाए उस भवन में,
त्यों-त्यों निकले हैं मीठे स्वर।
17. उड़ नहीं सकती मैं वायु में…
उड़ नहीं सकती मैं वायु में,
चल नहीं पाती सड़कों पर।
लेकिन लाखों पर्यटकों को,
पहुँचाती हूँ इधर-उधर।
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18. बिन जिसके हो चक्का जाम…
बिन जिसके हो चक्का जाम,
पानी जैसी चीज़ है वह।
झट से बताओ उसका नाम।
19. मैं एक बीज हूँ…
मैं एक बीज हूँ,
तीन अक्षर है मेरे।
दो दल वाला अन्न हूँ,
दाल बनाकर खाते हो।
20. करती नहीं यात्रा दो गज़… (महत्वपूर्ण)
करती नहीं यात्रा दो गज़,
फिर भी दिन भर चलती है।
रसवंती है नाज़ुक भी,
और गुफा में रहती है?
21. जिसके पास कभी दर्जनों कपड़े…
वह कौन है जिसके पास कभी तो
दर्जनों कपड़े होते हैं,
और कभी एक भी नहीं?
22. ऊपर से फेंक देते हैं…
वह क्या है जिसे ऊपर से फेंक देते हैं,
अंदर से पका लेते हैं,
और पकने के बाद अंदर से फेंक देते हैं,
ऊपर से खा लेते हैं?
23. ज़िंदा हो तो दफना देते…
वह कौन सी चीज़ है
जो ज़िंदा हो तो दफना देते हैं,
और मर जाए तो बाहर निकाल देते हैं?
24. ऐसी कौन सी चीज जो देख नहीं सकते…
ऐसी कौन सी चीज है जिसे हम
देख नहीं सकते, चख नहीं सकते,
लेकिन खा सकते हैं?
25. ना मैं खाता हूँ, ना मैं पीता हूँ…
ना ही मैं खाता हूँ,
ना ही मैं पीता हूँ,
फिर भी सबके घरों की
मैं रखवाली करता हूँ?
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26. जा जोड़े तो जापान…
जा जोड़े तो जापान,
अमीरों के लिए है यह शान,
बनारसी है इसकी पहचान,
दावतों में बढ़ती इसकी शान?
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27. डिब्बा देखा एक निराला…
डिब्बा देखा एक निराला,
ना ढकना ना ताला,
ना पेंदा ना ही कोना,
उसमें चाँदी सोना?
28. बचपन जवानी हरी भरी…
बचपन जवानी हरी भरी,
बुढ़ापा हुआ लाल,
हरी थी तब फूटी जवानी,
लेकिन बुढ़ापे में मचाया धमाल?
29. आपके ही घर पे आए तीन अक्षर…
आपके ही घर पे आए तीन अक्षर का नाम बताए,
शुरु के दो अति हो जाए,
अंतिम दो से तिथि बन जाए।
30. सुबह, दोपहर, शाम को मैं लोगों को भाती…
सुबह, दोपहर, शाम को,
मैं लोगों को भाती।
सब्जी के संग मेल है,
आदि कटे तो पाती।
31. रंग-बिरंगी प्यारी-प्यारी…
रंग-बिरंगी प्यारी-प्यारी,
दिखने में मैं सबसे न्यारी,
छोटे हल्के पंख फैलाऊँ,
बगिया में मैं रौनक लाऊँ।
32. गोल-गोल हैं जिसकी आंखें…
गोल-गोल हैं जिसकी आंखें,
भाता नहीं उजाला,
दिन में सोता हरदम,
रात विचरने वाला।
33. हरा चोर लाल मकान…
हरा चोर लाल मकान,
उसमें बैठा काला शैतान,
गर्मी में वह दिखता,
सर्दी में गायब हो जाता।
34. न मैं दिख सकती हूँ…
न मैं दिख सकती हूँ,
न मैं बिक सकती हूँ,
और न ही मैं गिर सकती हूँ।
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35. छोटा सा है उसका पेट…
छोटा सा है उसका पेट,
लेता सारा जगत समेट,
चार अक्षर का उसका नाम,
कहानी–कविता भी करता हमको भेंट।
36. अगर प्यास लगे तो पी सकते हैं…
अगर प्यास लगे तो पी सकते हैं,
भूख लगे तो खा सकते हैं,
और अगर ठंड लगे तो,
उसे जला भी सकते हैं।
37. आँखें होते हुए अंधी हूँ…
आँखें होते हुए अंधी हूँ,
पैर होते हुए लंगड़ी हूँ,
मुख होते हुए मौन हूँ।
38. ऐसी कौन सी चीज है…
ऐसी कौन सी चीज है,
जो पुरुषों में बढ़ती है,
लेकिन महिलाओं में नहीं बढ़ती?
39. तीन अक्षर से लिखूँ अपना नाम…
तीन अक्षर से लिखूँ अपना नाम,
उल्टा सीधा सभी एक समान।
40. मेरी पूंछ पर हरियाली…
मेरी पूंछ पर हरियाली,
तन है मगर सफेद,
खाने के हूँ काम आती,
अब बोलो मेरा भेद।
41. तीन रंगों का सुंदर पक्षी…
तीन रंगों का सुंदर पक्षी,
नील गगन में भरे उड़ान,
सबकी आँखों का तारा,
सब करते इसका सम्मान।
उत्तर – तिरंगा (राष्ट्रीय ध्वज)
42. एक थाल मोतियों भरा…
एक थाल मोतियों भरा,
सबके सिर पर उल्टा धरा,
चारों ओर फिरे वह थाल,
मोती उससे एक न गिरे।
43. हरी हरी मछली के हरे हरे अंडे…
हरी हरी मछली के
हरे हरे अंडे,
जल्दी से बूझो पहेली,
नहीं तो पड़ेंगे डंडे।
44. ऊपर भी ले जाने वाली…
ऊपर भी ले जाने वाली,
नीचे भी ले जाने वाली,
जीवन से मृत्यु तक,
बस इसकी यही कहानी।
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46. पूंछ कटे तो सीता…
पूंछ कटे तो सीता,
सिर कटे तो मित्र,
मध्य कटे तो खोपड़ी,
पहेली बड़ी विचित्र।
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47. रंग बिरंगा बदन है इसका…
रंग बिरंगा बदन है इसका,
कुदरत का वरदान मिला,
इतनी सुंदरता पाकर भी,
दो अक्षर का नाम मिला,
ये वन में करता शोर,
इसके चर्चे हैं हर ओर।
48. एक फूल ऐसा खिला है…
एक फूल ऐसा खिला है,
जिसकी अजब है कहानी,
एक पत्ते के ऊपर दूसरा पत्ता,
दुनिया है इसकी दीवानी।
49. काली है, लेकिन कोयला नहीं…
काली है, लेकिन कोयला नहीं,
लंबी है मगर डंडी नहीं,
बांधी जाती है, पर डोर नहीं।
50. आपस में ये मित्र बड़े हैं…
आपस में ये मित्र बड़े हैं,
चार पड़े हैं चार खड़े हैं,
इच्छा हो तो उस पर बैठो,
या फिर बड़े मज़े से लेटो।
51. धक-धक मैं हूँ करती…
धक-धक मैं हूँ करती,
फक-फक धुआँ फेंकती,
बच्चे बूढ़े मुझ पर चढ़ते,
निशानों पर मैं दौड़ती।
52. श्याम रंग की है…
श्याम रंग की है,
आँखों के ऊपर सजी है,
क्या है यह जो भी बोले,
मुंह से उसके जानवर की बोली निकले?
53. जब आप मुझे खरीदते हैं…
जब आप मुझे खरीदते हैं तो मैं काला होता हूं,
जब आप मुझे देखते हैं तो लाल,
जब आप मुझे बाहर फेंकते हैं तो ग्रे।
54. तीन पैर की चम्पा रानी…
तीन पैर की चम्पा रानी
रोज़ नहाने जाती।
दाल-भात का स्वाद न जाने,
कच्चा आटा खाती।
55. कपड़े उतरवाये पंखा चलवाये…
कपड़े उतरवाये पंखा चलवाये,
कहती ठंडा पीने को,
अभी-अभी तो नहाके आया,
फिर से कहती नहाने को।
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56. मध्य कटे तो बाण बने…
मध्य कटे तो बाण बने,
आदि कटे तो गीला,
तीनों अक्षर साथ रहें,
तो पक्षी बने रंगीला।
57. ऐसा कौन सा वस्तु है…
ऐसा कौन सा वस्तु है,
जो है सोने के,
लेकिन सोने से भी सस्ता?
58. लंबा तन और बदन है गोल…
लंबा तन और बदन है गोल,
मीठे रहते मेरे बोल,
तन पे मेरे होते छेद,
भाषा का मैं करूँ न भेद।
59. धन-दौलत से बड़ी है यह…
धन-दौलत से बड़ी है यह,
सब चीज़ों से ऊपर है यह,
जो पाए पंडित बन जाए,
बिन पाए मूर्ख रह जाए।
60. लालटेन लेकर उड़ता अंधेरी रात…
लालटेन लेकर उड़ता अंधेरी रात,
जलती बिना तेल बाती के
गर्मी, सर्दी, बरसात।
61. आँखें दो हो जाए चार…
आँखें दो हो जाए चार,
मेरे बिना कोट बेकार,
घुसा आँखों में मेरा धागा,
दरजी के घर से मैं भागा।
62. नहीं चाहिए इंजन मुझको…
नहीं चाहिए इंजन मुझको,
नहीं चाहिए खाना,
मुझ पर चढ़कर आसपास का,
कर लो सफर सुहाना।
63. गिन नहीं सकता कोई…
गिन नहीं सकता कोई,
है मुझसे ही रूप,
दिमाग को ढके रखता
सर्दी, बरसात व धूप।
64. यह हमको देती आराम…
यह हमको देती आराम,
यह ऊँची तो ऊँचा नाम,
बड़े-बड़े लोगों को देखा,
इसके लिये होता संग्राम।
65. बिल्ली की पूँछ हाथ में…
बिल्ली की पूँछ हाथ में,
बिल्ली रहे इलाहाबाद में।
66. जंगल में मायका…
जंगल में मायका,
गाँव में ससुराल,
गाँव आई दुल्हन,
उठ चला बवाल।
67. ये धनुष है सबको भाता…
ये धनुष है सबको भाता,
मगर लड़ने के काम न आता।
68. बताओ जरा, गोल है पर गेंद नहीं…
बताओ जरा,
गोल है पर गेंद नहीं,
पूंछ है पर पशु नहीं,
बच्चे उसकी पूंछ पकड़कर,
खेलते-हंसते खिलखिलाते।
69. ऊंट की बैठक, हिरण सी तेज चाल…
ऊंट की बैठक,
हिरण सी तेज चाल,
वो कौन सा जानवर,
जिसके पूंछ न बाल?
70. एक पैर है काली धोती…
एक पैर है काली धोती,
जाड़े में वह हरदम सोती,
गर्मी में है छाया देती,
सावन में हरदम रोती।
🎯 निष्कर्ष (Conclusion)
इन 20+ मजेदार हिंदी पहेलियों के माध्यम से आपने निश्चित ही अपना दिमाग चलाया होगा। यह पहेलियाँ
बच्चों, बड़ों, स्कूल प्रतियोगिताओं और दिमागी खेलों के लिए बेहद उपयोगी हैं।
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❓ अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQ)
1. हिंदी पहेलियाँ क्यों हल करनी चाहिए?
हिंदी पहेलियाँ दिमाग़ को तेज़, रचनात्मकता को मजबूत और मानसिक क्षमता को बढ़ाती हैं।
2. क्या यह पहेलियाँ बच्चों और बड़ों दोनों के लिए हैं?
हाँ, इस सूची में आसान से लेकर कठिन स्तर तक सभी आयु वर्ग के लिए पहेलियाँ शामिल हैं।
3. क्या मैं इन पहेलियों का उपयोग स्कूल या YouTube वीडियो में कर सकता हूँ?
हाँ, आप स्रोत का उल्लेख करके इन्हें उपयोग कर सकते हैं।